html

Saturday, 28 July 2018

फ़रोग़-उल-इस्लाम

बारिश

फ़रोग़-उल-इस्लाम


ग़रीब बच्चों ने बादलों को जो अपने घर के क़रीब देखा
तो उनके चेहरों से ये अयाँ  था कि वो परेशान हो गए थे
और उनके ज़हनों में ये फ़िकर थी
कहीं ये बादल बरस गए तो
गुज़र हमारी कहाँ पे होगी
घरों के चूल्हे कहाँ जालेंगे
ज़मीं पे चादर कहाँ बिछेगी
बढ़ा जो आगे तो मैंने देखा
अमीर बच्चे चेहेक रहे थे
हर आते जाते से कह रहे थे
अगर ये बादल बरस गए तो हमारी क्यारी महक उठेगी
ऐ काश ऐसा भी हो किसी दिन
ग़रीब बच्चे भी बारिशों में नहाके ये गीत गुनगुनाऐं
"वो देख बादल की फ़ौज आई, वो देख कियारी है लैहलहाई"

No comments:

Post a Comment

Facebook Comments